परिपक्वता की तारीख तक हुण्डी अपने पास रखने के बजाए बैंक बट्टा कहा जाने वाला प्रभार का भुगतान करके कम्पनियां वाणिज्यिक बैंकों को बट्टा देती हैं।
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परिपक् वता की तारीख तक हुण् डी अपने पास रखने के बजाए बैंक बट्टा कहा जाने वाला प्रभार का भुगतान करके कम् पनियां वाणिज्यिक बैंकों को बट्टा देती हैं।
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लोगो की नाराज़गी इस बात से ही समझ जानी होगी अखिलेश सरकार को की इस हिंसा ओर दंगो ने लोगो की सोचने की दिशा बदल दी है आज वोट बैंक बट्टा हुआ है एक समुदाया नाराज़ तो सत्ता की राजनीति मे पूरा फर्क पड जाता है बहुत कठीन है डगर पनघट की मे का भर लाऔ जमुना से मटकी!!